Palampur Gaon Ki Kahani Summary & Notes in Hindi

Palampur Gaon Ki Kahani Summary
Palampur Gaon Ki Kahani Summary

अध्याय का उद्देश्य:

  • उत्पादन की बुनियादी अवधारणाओं का परिचय।
  • एक काल्पनिक गाँव “पालमपुर” के ज़रिए खेती और गैर-कृषि गतिविधियों को समझना।

उत्पादन के चार घटक (Factors of Production)

घटकविवरण
भूमिप्राकृतिक संसाधन — मिट्टी, जल, जंगल आदि
श्रमकाम करने वाले लोग — कुशल/अकुशल
भौतिक पूंजीस्थायी पूँजी (औज़ार, मशीन), कार्यशील पूँजी (नकद व कच्चा माल)
मानव पूंजीज्ञान, उद्यमिता, निर्णय क्षमता

खेती में बदलाव और आधुनिक तरीके

भूमि सीमित है:

  • खेती की ज़मीन 1960 के बाद नहीं बढ़ी।

उपज बढ़ाने के 2 तरीके:

  1. बहुफसली प्रणाली:
    • एक ही खेत में ज्वार-बाजरा (खरीफ), आलू, गेहूँ (रबी), गन्ना
  2. आधुनिक खेती विधियाँ:
    • HYV बीज, रसायनिक खाद, कीटनाशक, नलकूप, ट्रैक्टर आदि।
    • परंपरागत बीज = 1300 किग्रा/हेक्टेयर, HYV बीज = 3200 किग्रा/हेक्टेयर

हरित क्रांति के प्रभाव

  • मिट्टी की उर्वरता में गिरावट
  • भूजल स्तर में कमी
  • सतत कृषि विकास (Sustainable Farming) की आवश्यकता

भूमि का असमान वितरण

किसान वर्गविवरण
भूमिहीन किसान150 परिवार, अधिकतर दलित
छोटे किसान< 2 हेक्टेयर
मध्यम-बड़े किसान> 2 हेक्टेयर (60 परिवार)

श्रमिक और वेतन

  • छोटे किसान: खुद और परिवार से काम लेते हैं।
  • बड़े किसान: मज़दूर रखते हैं (जैसे डाला और रामकली)
  • वेतन = ₹160, जबकि न्यूनतम मज़दूरी (2019 में) = ₹300

पूंजी की ज़रूरत

वर्गपूंजी व्यवस्था
छोटे किसानउच्च ब्याज दर पर ऋण
बड़े किसानअपनी बचत से निवेश

उदाहरण: सविता ने 24% ब्याज दर पर ऋण लिया + मज़दूरी का समझौता किया

अधिशेष उत्पादन और बिक्री

  • बड़े किसान बेचते हैं → व्यापारियों को → शहर की दुकानें
  • इस कमाई से:
    • अगली फसल की पूंजी
    • ट्रैक्टर या मशीनरी में निवेश
    • पशुधन और गैर-कृषि गतिविधियाँ

पालमपुर की गैर-कृषि गतिविधियाँ (25%)

गतिविधिउदाहरण
डेयरीदूध → रायगंज से शहरों को
लघु उद्योगमिश्रीलाल की गुड़ इकाई
दुकानेंराशन, साबुन, चाय आदि की दुकानें
कंप्यूटर क्लासकरीम द्वारा खोली गई
परिवहनकिशोर द्वारा भैंसगाड़ी व दूध ढुलाई

प्रतियोगी परीक्षा दृष्टिकोण से मुख्य बिंदु

  • उत्पादन = भूमि + श्रम + पूंजी + मानव पूंजी
  • खेती सीमित → बहुफसली व HYV ज़रूरी
  • आधुनिक खेती = पर्यावरणीय खतरे
  • छोटे किसान = ऋण चक्र में फँसे
  • गैर-कृषि कार्यों से आय के विकल्प उपलब्ध

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